एकादशी व्रत (विशेषतः – योगिनी एकादशी) कथा और विधि

CI@Jyotish25
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पर्व तिथि: हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी
विशेष एकादशी: आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी
उद्देश्य: पाप मुक्ति, रोग शांति, पुण्य लाभ, मोक्ष की प्राप्ति हेतु

व्रत विधि:

  • एक दिन पूर्व (दशमी) को सात्विक भोजन करें, एक बार ही।
  • एकादशी को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • पूरे दिन फलाहार करें और भगवान विष्णु की पूजा करें — तुलसी पत्र, पीले फूल और पंचामृत से।
  • दिन में श्री विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ या एकादशी व्रत कथा पढ़ें/सुनें।
  • द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

कथा (योगिनी एकादशी):

अलकापुरी नगरी में एक यक्ष ‘हेममाली’ रहता था। वह शिव भक्त था और मंदिर में जल चढ़ाने का कार्य करता था। वह रोज़ अपनी सुंदर पत्नी से प्रेम में लिप्त रहता और मंदिर नहीं जाता। एक दिन शिवजी ने उसे बुलाया और कहा, “तू अपने कर्तव्य से विमुख हो गया है। तुझे कुष्ठ रोग होगा।”

वह दुःखी होकर तप करने लगा और मुनि मार्कण्डेय से उपाय पूछा। उन्होंने योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। हेममाली ने विधिपूर्वक यह व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उसका रोग समाप्त हो गया।

संदेश: एकादशी का व्रत न केवल शारीरिक बल्कि आत्मिक शुद्धि के लिए भी अति प्रभावशाली है।

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