करवा चौथ व्रत कथा और विधि

CI@Jyotish25
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पर्व तिथि: कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (दीपावली से पहले)
उद्देश्य: पति की दीर्घायु, सौभाग्य और सुख-समृद्धि हेतु

व्रत विधि:

  • व्रती महिला सूर्योदय से पूर्व सरगी (सास द्वारा दिया गया भोजन) खा लेती है।
  • दिन भर निर्जला उपवास करती है – न पानी, न भोजन।
  • संध्या के समय श्रृंगार करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं।
  • चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देती हैं और फिर पति के हाथों जल पीकर व्रत पूर्ण करती हैं।

कथा:

एक साहूकार की सात बहुएँ और एक सबसे छोटी बेटी थी। करवा चौथ के दिन सभी बहुएँ व्रत कर रही थीं। सबसे छोटी बहन को भूख लगी थी। बहनों ने मिलकर एक दीपक को छलनी के पीछे रखकर कहा कि चाँद निकल आया है। उसने व्रत तोड़ दिया।

जब उसका पति घर आया, तो बीमार पड़ गया और मर गया। तब वह पश्चाताप करने लगी और पूरे वर्ष प्रत्येक माह की चतुर्थी को व्रत किया। अगले वर्ष करवा चौथ के दिन पुनः व्रत करके उसने माँ पार्वती की कृपा से अपने पति को पुनर्जीवित कराया।

संदेश: यह कथा सिखाती है कि व्रत में धैर्य और श्रद्धा जरूरी है। छल-कपट से धर्म नहीं होता।

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