व्रत का दिन: शारदीय और चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि
व्रत का उद्देश्य: मनोकामना पूर्ति, दुश्मनों पर विजय, रोग मुक्ति और दिव्य शक्ति प्राप्ति हेतु
कथा:
प्राचीन समय में एक राजा बहुत दयालु और धर्मपरायण था, परंतु उसे राज्य में बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। एक ऋषि ने उसे नवरात्र में सप्तमी तिथि को माँ दुर्गा का व्रत करने की सलाह दी।
राजा ने सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि (दुर्गा जी के सप्तम स्वरूप) का ध्यान करके व्रत किया, सप्तशती का पाठ कराया, कन्याओं को भोजन कराया और माँ को नीवारे, लाल फूल, सिंदूर और हलवा-पूरी का भोग अर्पित किया। रात्रि में जागरण और कीर्तन किया गया।
माँ दुर्गा ने प्रसन्न होकर कहा, “हे राजन! जो भी भक्त श्रद्धा से सप्तमी का व्रत करता है, वह समस्त विपत्तियों से मुक्त होता है। मैं स्वयं उसकी रक्षा करती हूँ।”
इसके बाद राजा का राज्य फिर से समृद्ध हुआ।