श्रीराम चालीसा – अर्थ सहित

CI@Jyotish25
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दोहा:
श्रीगणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान
कहौं चालीसा राम की, कृपा करें भगवान

अर्थ: श्रीगणेश और पार्वती नंदन, मंगलों के मूल और बुद्धिमान हैं। अब मैं श्रीराम की चालीसा कहता हूँ, भगवान कृपा करें।

जय श्रीराम रघुनंदन, जय दशरथ के लाल
भक्तों के हितकारी, कृपा करो नंदलाल

अर्थ: हे रघुकुल के नंदन श्रीराम, हे दशरथ जी के पुत्र, आपकी जय हो। आप भक्तों के हित में सदा कृपा करते हैं।

चरण कमल में ध्यान धर, करूँ सदा प्रनाम
जयति जयति रघुवीर प्रभु, सर्व लोक विश्राम

अर्थ: मैं आपके चरण कमलों में ध्यान लगाकर सदा प्रणाम करता हूँ। रघुवीर प्रभु आप सब लोकों के आधार हैं।

शिव भी जिनका नाम जपें, ब्रह्मा जिनको ध्याय
शेष सहस्त्र मुख गावे, वे श्रीराम सुभाय

अर्थ: भगवान शिव जिनका नाम जपते हैं, ब्रह्मा जिनका ध्यान करते हैं और सहस्त्र मुखों से शेषनाग जिनका गुणगान करते हैं – वे श्रीराम महान हैं।

राम नाम के जाप से, मिटे सभी विकार
पाप ताप संताप मिटे, भव सागर से पार

अर्थ: राम नाम के जाप से सारे दोष मिट जाते हैं। पाप, ताप और संताप सब समाप्त हो जाते हैं, और व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी
दीनबंधु दुखहर प्रभु, करहु कृपा मुझ पर

अर्थ: श्रीराम मंगल के धाम हैं और अमंगल का नाश करने वाले हैं। हे दीनों के बंधु, दुखों के हरणकर्ता प्रभु, मुझ पर कृपा करें।

दोहा:
राम चालीसा जो पढ़े, पाठ करे मन लाय
राम कृपा होय उसे, भवसागर तर जाय

अर्थ: जो व्यक्ति श्रद्धा और लगन से श्रीराम चालीसा का पाठ करता है, उस पर श्रीराम की कृपा होती है और वह भवसागर को पार कर जाता है।

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