दोहा
श्री गणेश गुरु पूजन करूँ, श्याम नाम गुण गाऊं।
कृपा करो महाराज तुम, शरण तुम्हारी आऊं॥
मैं सर्वप्रथम श्री गणेश और गुरु को प्रणाम करता हूँ, फिर श्याम जी के गुणों का गुणगान करता हूँ। हे महाराज श्याम, मुझ पर कृपा करें, मैं आपकी शरण में आया हूँ।
जय श्री श्याम, कृपा कर दो मुझ पर।
तुम हो दीनदयाल, दुखियों के रखवार॥
हे श्री श्याम! मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। आप ही दीन-दुखियों के पालनहार हैं।
चालीसा आरंभ करूं, सुनो श्याम दयाल।
नाम तुम्हारा जपूं, हो जावे बेड़ा पार॥
हे करुणामयी श्याम, मैं अब यह चालीसा आरंभ करता हूँ, कृपया सुनें। आपका नाम जपकर मेरे जीवन की नैया पार हो जाए।
जय श्री श्याम तुमको वंदन, भक्तन के तुम रखवाले।
दीन दुखी जन के सखा तुम, तुम बिन कौन संभाले॥
हे श्याम! आपको बारम्बार वंदन है। आप ही भक्तों की रक्षा करते हैं। दुखियों और दीनों के आप सच्चे साथी हैं।
कलयुग के तुम साक्षात देव, खाटू धाम तुम्हारा।
जहां बजरंगी दूत भी आते, नाम जपें तुमारा॥
आप कलियुग के प्रत्यक्ष देवता हैं। आपका धाम खाटू में स्थित है, जहाँ स्वयं हनुमान जी भी आकर आपका नाम जपते हैं।
भीम पुत्र घटोत्कच सुत तुम, वीर बर्बरीक नाम।
श्रीकृष्ण ने शीश माँगा, पाया अमर महान॥
आप पांडवों के पुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र वीर बर्बरीक हैं। श्रीकृष्ण ने युद्ध में आपका शीश मांगा और आपको अमरत्व प्रदान किया।
रणभूमि में जो न डोले, सच्चा वीर तुम्हारा।
जहां चले तुम नजर रखो, जयकारा हो तुम्हारा॥
आप वो सच्चे वीर हैं जो युद्धभूमि में भी विचलित नहीं हुए। आपकी दृष्टि जहाँ जाती है, वहाँ जयकारा गूंजने लगता है।
श्याम सखा कहलाए तुम, दानी महा अपार।
जो भी तुझको ध्यावे मन से, हो उसका बेड़ा पार॥
आप साक्षात श्याम सखा कहलाते हैं और दान में अत्यंत उदार हैं। जो भक्त आपको सच्चे मन से ध्याता है, उसका जीवन-सागर पार हो जाता है।
मोरछड़ी ले हाथ में चलते, नीले घोड़े पर सवार।
तेरे दर पे जो भी आए, खाली जाए न एक बार॥
आप हाथ में मोरछड़ी लिए नीले घोड़े पर सवार होते हैं। जो भी श्रद्धालु आपके दरबार में आता है, वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता।
खाटू नगरी में तेरा दरबार, नित हो जयकारा।
भक्त झोली फैलाए खड़े, तू देता प्यार अपार॥
आपका दरबार खाटू नगरी में है, जहाँ प्रतिदिन जयकारे होते हैं। भक्त झोली फैलाकर खड़े होते हैं और आप उन्हें प्रेम की वर्षा से सराबोर कर देते हैं।
जो श्याम नाम रटता है, उसका क्या संकट।
तेरे नाम की महिमा बड़ी, मिट जाए सब विघ्न॥
जो व्यक्ति श्याम का नाम रटता है, उसे कोई संकट नहीं सताता। आपके नाम की इतनी महिमा है कि सारे विघ्न स्वतः ही मिट जाते हैं।
श्याम नाम का प्याला पी लो, सब पीड़ा मिट जाए।
नारायण भी तुझसे पूछे, भक्त तुझमें रम जाए॥
श्याम नाम के प्रेम-प्याले को पीने से जीवन की समस्त पीड़ाएं मिट जाती हैं। स्वयं नारायण भी आपकी लीला को देखते हैं, और भक्त तो बस आप में रम जाते हैं।
सच्चा नाम तेरा श्याम, सब दुःख का नाशक।
जो भी थामे तेरा दामन, उसका भाग्य प्रकाशक॥
हे श्याम! आपका नाम सच्चा है और सभी दुखों का विनाशक है। जो भी आपके चरणों से जुड़ जाता है, उसका भाग्य स्वयं उज्ज्वल हो जाता है।
तेरा रूप मनोहारी, देखे नयन भर जाए।
तेरी कृपा से जीवन में, हर संकट दूर हो जाए॥
आपका रूप इतना सुंदर और मनमोहक है कि जिसे देख भर लेने से आँखें तृप्त हो जाती हैं। आपकी कृपा से हर संकट टल जाता है।
श्याम कृपा जिसके ऊपर हो, वह कब डर पाए।
कर्म करे सच्चा वह, प्रभु दर पे फल पाए॥
जिसके ऊपर आपकी कृपा हो, वह कभी किसी बात से नहीं डरता। अगर वह सच्चे मन से कर्म करता है, तो प्रभु के दरबार से उसे फल ज़रूर मिलता है।
श्याम चालीसा जो भी पढ़े, भाव रहे मन मांहि।
श्याम कृपा से सदा मिले, जीवन सुखद समाय॥
जो भक्त श्रद्धा से यह चालीसा पढ़ता है, उसके मन में प्रेम बना रहता है और श्याम जी की कृपा से उसका जीवन सुखमय हो जाता है।
❖ अंतिम दोहा
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित दिन रात।
श्याम कृपा उस पर सदा, मिटे सभी आघात॥
जो व्यक्ति इस चालीसा को प्रेमपूर्वक रोज़ पढ़ता है, उस पर सदा श्याम जी की कृपा बनी रहती है और उसके जीवन के सभी आघात मिट जाते हैं।