– रामभक्त हनुमान: वीरता में भक्ति, भक्ति में वीरता
श्री हनुमानजी हिन्दू धर्म के ऐसे देवता हैं जिनमें भक्ति, शक्ति, बुद्धि और विनम्रता का अद्भुत संतुलन है। वे बाल ब्रह्मचारी हैं, परंतु सर्वशक्तिमान हैं। उनकी आराधना न केवल भक्ति का अभ्यास है, बल्कि यह साहस, विश्वास और रक्षा की अनुभूति है। हनुमानजी को संकटमोचन कहा गया है — क्योंकि जब भक्त उन्हें पुकारता है, तो संकट पास भी नहीं आता।
हनुमानजी का स्वरूप और भक्ति दर्शन
हनुमानजी का स्वरूप अत्यंत प्रेरणादायक है — एक वानर के रूप में होकर भी उन्होंने सूर्य को फल समझ कर निगल लिया, लंका दहन किया, संजीवनी पर्वत उठा लिया, और स्वयं भगवान राम के सबसे बड़े सेवक बने। वे न केवल बलवान हैं, बल्कि अत्यंत ज्ञानी भी हैं। उन्हें ‘रामकाज में रत’ कहा गया है — यानि अपने जीवन का हर क्षण प्रभु की सेवा में अर्पित कर दिया।
उनकी भक्ति हमें सिखाती है कि शक्ति का उपयोग तभी पूर्ण होता है जब उसमें नम्रता और सेवा भाव हो।
आरती – आरती कीजै हनुमान लला की।।
।। आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
अर्थः हम सभी वीर हनुमान जी की आरती करते हैं. वे दुष्टों का नाश करने वाले और श्रीराम जी के परम भक्त हैं.
।। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके ।।
अर्थ- जिनके बल के आगे बड़े-बड़े पहाड़ भी कांप उठते है. जो भक्त रोजाना हनुमान जी के नाम का जाप करते है रोग और दोष उनके समीप झांककर भी नहीं देखते.
।। अंजनि पुत्र महाबलदायी । सन्तन के प्रभु सदा सहाई ।।
अर्थ: माँ अंजनी ने एक महान पुत्र को जन्म दिया है जो संतों अर्थात हनुमान जी हमेशा संत लोगों की सहायता करते है.
।। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुध लाए ।।
अर्थ- रघुनाथ श्रीराम जी ने हनुमान जी को माता सीता को ढूंढने का महान कार्य दिया था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक किया. हनुमान जी ने रावण की नगरी लंका जलाकर माता सीता का पता लगाकर आये .
।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ।।
अर्थ- लंका के चारों तरफ समुद्र जैसी गहरी खाई थी जो अभिन्न थी, जिसे कोई भी आसानी से पार नहीं कर सकता था लेकिन पवन पुत्र हनुमान जी शीघ्र अति शीघ्र वायु से भी तेज गति से समुद्र को लांघकर, गहरी खाई को पार करके लंका पहुंचकर माता सीता की खबर लाते है.
।। लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे ।।
अर्थ- हनुमान जी ने लंका जाकर असुरों का नाश किया और माता सीता से मिलकर सियावर श्री राम जी के सीता माता की खोज के कार्य को पूर्णतः पूरा किया.
।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे ।।
अर्थ- मेघनाथ से युद्ध के दौरान श्री लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए तब हनुमान जी सुबह होने से पहले संजीवनी बूटी के लिए पूरे पर्वत को लाकर लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की थी.
।। पैठी पताल तोरि यमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे ।।
अर्थ- जब अहिरावण श्रीराम व लक्ष्मण जी को पाताल लोक ले गया तब आप ने ही अहिरावण का वध करके प्रभु को उसके बंधन से मुक्त कराया था.
।। बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे ।।
अर्थ- हनुमान जी अपने एक (बाएं) हाथ से असुरों का नाश करते है और दूसरे (दाएं) हाथ से हमेशा संत लोगों और सच्चे भक्तों का सहयोग करते है.
।। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे ।।
अर्थ- देवता, मनुष्य और ऋषि मुनि जन सर्वदा आपकी आरती उतारते है और आपके नाम का जयकार करते हुए जय हनुमान, जय हनुमान का जाप करते है.
।। कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई ।।
अर्थ- माता अंजनी स्वर्ण की थाली में कपूर की लौ से आप की आरती उतारती है. इसलिए भक्तजनों श्री हनुमान जी की आरती में सदा कपूर अवश्य जलाएं.
।। जो हनुमानजी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परमपद पावै ।।
अर्थ- जो भक्त सच्चे मन हनुमान जी की आरती गाते है वह इस लोक में सब सुखों को भोगते हुए अंत में बैकुंठ का निवास पाते है.
।। लंका विध्वंस किए रघुराई। तुलसीदास स्वामी हरि आरती गाई ।।
अर्थ- रघुवीर के परम भक्त श्री हनुमान जी ने रावण की लंका को जलाकर विनाश कर दिया था और श्रीराम ने रावण का वध कर संपूर्ण लंका को राक्षसों सहित विध्वंस कर दिया था. गोस्वामी तुलसीदास जी स्वयं उनकी कीर्ति का प्रशंसा करते है.
मंगलवार व्रत की विधि:
- प्रातः स्नान करके हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पण करें
- गुड़-चना, बेसन लड्डू, और लाल फूल अर्पण करें
- श्रीराम नाम, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, और बजरंग बाण का पाठ करें
- दीपक जलाकर आरती करें और मन में स्वच्छता रखें
- रात्रि में सात्विक भोजन करें या फलाहार करें
इस व्रत का पालन नियम, संयम और सच्ची श्रद्धा से किया जाए तो यह चमत्कारिक फल देता है।
व्रत कथा – ब्राह्मण और उसकी श्रद्धा
पुराणों में वर्णित है कि एक निर्धन ब्राह्मण नियमित मंगलवार व्रत करता था। एक दिन उसने व्रत को हल्के में लिया, फलस्वरूप उसका स्वास्थ्य, धन और सम्मान सब खो गया। जब उसने प्रायश्चित कर पुनः श्रद्धा से व्रत किया, तो हनुमानजी प्रसन्न होकर उसे सब कुछ लौटाया। यह कथा सिखाती है कि भक्ति और व्रत दोनों केवल बाहरी कर्म नहीं — भीतर की श्रद्धा ही सबसे बड़ा बल है।
संकटमोचन हनुमान के चमत्कार
कई भक्तों ने जीवन में हनुमानजी की कृपा से गंभीर बीमारियाँ, कोर्ट केस, विवाह के संकट, करियर के अवरोध, और मानसिक रोगों से मुक्ति पाई है।
जब कोई “जय बजरंग बली” कहकर सच्चे मन से पुकारता है, तो हनुमानजी उसका रक्षक बन कर संकटों को नष्ट करते हैं।
वे केवल देवता नहीं — संरक्षक, साथी और शक्ति हैं।
हनुमानजी की भक्ति, आरती और व्रत न केवल हमें भय से मुक्त करते हैं, बल्कि हमें आत्मबल, एकाग्रता और आस्था से भर देते हैं।
“आरती कीजै हनुमान लला की” गाते हुए जब आँखें नम हो जाएँ, तब समझिए कि हनुमानजी ने आपका हाथ थाम लिया है।
उनकी भक्ति में डूबा हृदय संसार की हर चुनौती को पार कर सकता है। वे सच्चे संकटमोचन हैं — और उनके नाम में ही शक्ति है।