सरस्वती माता की चालीसा अर्थ सहित

CI@Jyotish25
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जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता

अर्थ: हे सरस्वती माता, आपकी जय हो। आप सच्चे गुणों और वैभवों से सम्पन्न हैं और तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं।

चन्द्रवदनी पद्मासिनी, दुहूंकरी ज्नाना
विधिविलासिनी बुद्धि प्रदायिनी, जप तप विधि आना

अर्थ: आपका मुख चंद्रमा के समान है, आप कमल के आसन पर विराजमान हैं। आप ज्ञान और बुद्धि की दात्री हैं तथा तप, जप और वेदों की विधाओं में रची बसी हैं।

श्वेत वस्त्र और माला, श्वेत कमल हस्त धारा
विनय करे जो छात्रजन, ताको आप उबारा

अर्थ: आप सफेद वस्त्र धारण करती हैं, हाथों में सफेद कमल और माला है। जो भी विद्यार्थी आपके प्रति विनम्रता रखता है, आप उसका उद्धार करती हैं।

वीणा पुस्तक हस्त धर, कटि में मंगल सूत्र
बाँये ओर मयूर विराजे, दाहिने गज मूर्ति

अर्थ: आपके हाथों में वीणा और पुस्तक शोभायमान हैं, कमर में मंगल सूत्र है। आपके बाएँ ओर मोर और दाएँ ओर गज (हाथी) की मूर्ति विराजमान है।

कविता कथा कहानी, वाणी में लयवाला
आप कृपा कर दो माँ, तो अज्ञान मिटने वाला

अर्थ: कविता, कहानी और वाणी में मधुर लय आपकी कृपा से आती है। हे माँ, यदि आप कृपा करें तो अज्ञान दूर हो जाता है।

मूढ़ जड़ अज्ञानी, मैं कुछ भी नहीं जानूं
शरण आपकी लेकर, विनती यही मानूं

अर्थ: मैं मूर्ख, जड़ और अज्ञानी हूँ। मुझे कुछ भी ज्ञात नहीं है। मैं आपकी शरण लेकर यही प्रार्थना करता हूँ।

हे सरस्वती माता, आप ही ज्ञान की खान
कृपा करें मुझ बालक पर, हो जाऊँ गुणवान

अर्थ: हे माँ सरस्वती, आप ज्ञान की खान हैं। मुझ बालक पर कृपा करें जिससे मैं भी गुणवान बन सकूँ।

जो यह चालीसा पढ़े, या श्रवण में लावे
सरस्वती कृपा से वह, ज्ञान निधि को पावे

अर्थ: जो भी यह चालीसा पढ़ता है या सुनता है, वह माँ सरस्वती की कृपा से ज्ञान की संपदा प्राप्त करता है।

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