उपयोग का समय: यह मंत्र गीता पाठ, ध्यान, भजन या किसी मानसिक पीड़ा के समय भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने के लिए जपा जाता है।
मंत्र:ॐ श्री कृष्णः शरणं मम
अर्थ:
“हे श्रीकृष्ण! आप मेरी शरण हैं।”
इस मंत्र का भाव अत्यंत मधुर और पूर्ण समर्पण से भरा हुआ है। जब मन भ्रमित हो, जब मार्ग दिखाई न दे, तब यह मंत्र साधक को ईश्वर के मार्ग पर लौटा देता है। श्रीकृष्ण की करुणा साधक को शांति और प्रेम से भर देती है।
1.ॐ श्री कृष्णः शरणं मम
अर्थ: हे श्रीकृष्ण! मैं आपकी शरण में हूँ। यह पूर्ण समर्पण का भाव प्रकट करता है।
2.ॐ क्लीं कृष्णाय नमः
अर्थ: श्रीकृष्ण को नमस्कार। ‘क्लीं’ बीज मंत्र है जो आकर्षण, भक्ति और प्रेम जागृत करता है।
3.कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥
अर्थ: श्रीकृष्ण वासुदेव, हरि और परमात्मा को बारंबार नमस्कार, जो हमारे कष्टों का नाश करते हैं।
4.ॐ गोविंदाय नमः
अर्थ: मैं गोविंद को नमन करता हूँ, जो जगत का पालन करने वाले हैं।
5.ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्
अर्थ: हम देवकीनंदन को जानें, वासुदेव का ध्यान करें, वह श्रीकृष्ण हमें प्रेरणा दें।