श्री शनिदेव व्रत कथा

CI@Jyotish25
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व्रत का दिन: शनिवार
व्रत का उद्देश्य: ग्रह दोष शांति, बाधा निवारण, सौभाग्य और धन-लाभ हेतु

कथा:
प्राचीन काल में एक नगर में धर्मशील नामक एक ब्राह्मण रहता था। वह प्रतिदिन प्रभु भजन में लीन रहता था, किंतु उसका पुत्र कर्महीन और आलसी था। एक दिन शनिदेव स्वयं ब्राह्मण के स्वप्न में आए और बोले, “तेरा पुत्र मेरे प्रकोप से जीवन में कष्ट भोगेगा, किंतु यदि वह शनिवार का व्रत करे, तो मेरी कृपा बनी रहेगी।”

ब्राह्मण ने पुत्र को शनिदेव का व्रत करने की सलाह दी। शनिवार के दिन उसने प्रातः काल स्नान कर काले तिल, सरसों का तेल और काले वस्त्रों से शनिदेव की पूजा की, फिर ब्राह्मणों को भोजन कराया और कथा सुनी।

शनिदेव ने प्रसन्न होकर उसके पुत्र को रोगमुक्त किया, उसे कार्य में रुचि आई और उसके जीवन में उन्नति हुई। शनिदेव बोले, “जो व्यक्ति शनिवार को श्रद्धा से मेरा व्रत करता है और यह कथा सुनता है, उसके सारे कष्ट दूर होते हैं।”

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