हरि ओम प्रिय दर्शकों।सितंबर 2025 का महीना ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से बेहद खास होने जा रहा है क्योंकि इस महीने दो बड़े ग्रहण पड़ेंगे – 7-8 सितंबर को चंद्र ग्रहण और 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण। एक ही महीने में दो ग्रहण होना शुभ संकेत नहीं माना जाता, इसलिए यह समय विशेष सतर्कता और धार्मिक नियमों के पालन का है।इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:
- सितंबर 2025 चंद्र ग्रहण की तारीख और समय
- सूतक काल कब से कब तक रहेगा
- भारत और विश्व में कहां-कहां यह दिखाई देगा
- ग्रहण के दौरान पालन किए जाने वाले नियम
- ग्रहण के बाद दान की महत्ता और क्या दान करना चाहिए
🗓️ सितंबर 2025 चंद्र ग्रहण की तारीख और समय
- ग्रहण प्रारंभः 7 सितंबर रात 9:57 बजे
- ग्रहण मध्यः 11:42 बजे रात
- ग्रहण समाप्ति (मोक्ष): 8 सितंबर रात 1:26 बजे
- सूतक काल प्रारंभः 7 सितंबर दोपहर 12:57 बजे से
👉 ध्यान रखें कि सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लगता है। इस दौरान धार्मिक और दैनिक नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
🌍 कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण 2025?
यह ग्रहण पूरे भारत में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। इसके अलावा यह निम्न क्षेत्रों में भी दृष्टिगोचर होगाः
- एशिया और यूरोप के लगभग सभी देश (जैसे इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली)
- अफ्रीका के अधिकांश भाग
- ऑस्ट्रेलिया,
- न्यूजीलैंड,
- फिजीउत्तरी अमेरिका (पश्चिमी भाग),
- दक्षिण अमेरिका (ब्राजील के पूर्वी हिस्से तक)
📜 ग्रहण के दौरान पालन करने योग्य नियम
ग्रहण और सूतक काल में शास्त्रों के अनुसार कई नियम बताए गए हैं।इनका पालन करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- 👉 मूर्ति और मंदिर को न छुएंदेव प्रतिमा,
- शास्त्र और धार्मिक ग्रंथों को ग्रहण और सूतक काल में नहीं छूना चाहिए।
- केवल बाहर से ही प्रणाम करें।
- 👉 भोजन और जल से संबंधित नियम
- ग्रहण से पहले भोजन कर लें।
- दूध, दही, जल आदि में तुलसी या कुशा डाल दें ताकि वह शुद्ध रहें।
- ग्रहण और सूतक काल में रखा भोजन न खाएं।
- 👉 जप और ध्यान का महत्व
- ग्रहण काल मंत्र जप, स्तोत्र पाठ, हवन और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
- इस समय किया गया जप “अक्षय फल” देता है।
- 👉 गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
- ग्रहण की रोशनी सीधे शरीर पर न पड़ने दें।
- लोहे की वस्तुएं, चाकू, सुई आदि का प्रयोग न करें।
- घर में पर्दे लगाकर चंद्रमा की किरणों से बचें।
- 👉 अन्य नियम
- ग्रहण काल में भोजन, सोना, शारीरिक संबंध और मल-मूत्र का त्याग वर्जित है।
- क्रोध, झगड़ा और नकारात्मक विचारों से बचें।
🎁 ग्रहण के बाद दान का महत्व
ग्रहण के बाद स्नान और शुद्धिकरण कर दान-पुण्य करना श्रेष्ठ माना गया है।
🎁 क्या दान करें?
- सफेद वस्तुएंः दूध, चावल, सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, चांदी, मोतीकाली वस्तुएं: काले जूते-चप्पल, काला छाता, तिल, उड़द, काले वस्त्र
- सफेद वस्तुएंः दूध, चावल, सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, चांदी, मोती
- काली वस्तुएं: काले जूते-चप्पल, काला छाता, तिल, उड़द, काले वस्त्र
👉 विशेष दानः गौदान, अन्न, धन, वस्त्र, दक्षिणा ध्यान रखेंः दान के साथ दक्षिणा अवश्य दें, तभी दान पूर्ण माना जाता है।
🌌 ज्योतिषीय दृष्टि से प्रभाव
- यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में पड़ रहा है।
- राहु की स्थिति के कारण इसके दुष्प्रभाव अधिक रहेंगे।
- हालांकि पूर्णिमा के चंद्रमा और गुरु बृहस्पति की दृष्टि से नकारात्मक प्रभाव कुछ हद तक कम होंगे।
- विशेष रूप से कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातकों को सावधानी रखनी चाहिए।
📌 निष्कर्ष conclusion
सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि हम नियमों का पालन करें, जप-तप करें और दान करें तो ग्रहण का दुष्प्रभाव कम होकर शुभ फल में परिवर्तित हो सकता है।
🙏 प्रिय दर्शकों, आप भी इस ग्रहण में भगवान का स्मरण कीजिए, जप कीजिए और दान कीजिए।
🙏 यदि यह जानकारी उपयोगी लगी तो इसे अपने परिवार और मित्रों के साथ अवश्य साझा करें ताकि वे भी इसका लाभ उठा सकें।