गोत्र-प्रवर आदि का ज्ञान अत्यंत आवश्यक

समस्त धार्मिक कार्य सङ्कल्प-पूर्वक करने का ही विधान धर्मशास्त्र-सम्मत है। सङ्कल्प के ही द्वारा सन्ध्या वन्दनादि समस्त नित्य कर्म एवं कर्मकाण्डादि यज्ञकार्य सम्पन्न होते हैं। बिना सङ्कल्प के किसी भी…

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